सोनभद्र में भूख से एक और की मौत

उत्तर प्रदेश में दलितों के राज में एक और आदिवासी की भूख से मौत हो गई. बुंदेलखंड के बाद अब सोनभद्र में भी ७ आदिवासियों की भूख से मौत हुई है. पूरे प्रदेश में यह सिलसिला चल पड़ा हैं. यह केवल बुंदेलखंड या सोनभद्र का ही मामला नहीं है प्रदेश में जगह जगह लोग भूख से मर रहे हैं. गोरखपुर, कुशीनगर और पूरब के अधिकांश जिलों के मुसहर जनजाति के लोग चूहा खा कर गुजरा कर रहें हैं. और ऊपर से इन्सेफेलैटिस बीमारी उनके बच्चों को बेमौत मारे जा रही है. लेकिन हर तरफ खामोशी छाई है किसी भी राजनितिक दल के लिए यह मुद्दा नहीं है. रिपोर्ट डेली न्यूज एक्टिविस्ट ने भेजी हैं.

सोनभद्र में अकाल मौतों का सिलसिला बदस्तूर जारी है। चोपन विकास खंड के पांडू चट्टान इलाके में खाने और पानी के अभाव में एक और महिला ने दम तोड़ दिया। अकेले पांडू चट्टान में पिछले एक सप्ताह के दौरान अकाल जनित यह दूसरी मौत है। पार्वती नामक महिला की बीती रात हुई मौत के बाद आदिवासियों का आक्रोश खुलकर सामने आ गया।
ग्रामीणों ने 35 वर्षीय पार्वती की लाश को लगभग 20 घंटों तक अपने कब्जे में रखकर जिला प्रशासन को मुआवजा देने या फिर लाश को जमींदोज न होने देने की चेतावनी दे डाली। अंतत: शाम को प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा पीड़ित परिवार को मुआवजे के आश्वासन व अन्न उपलब्ध कराए जाने के बाद शव का अंतिम संस्कार किया गया। इस मामले में जिलाधिकारी अजय शुक्ला का कहना था कि पार्वती की मौत टूयुबरक्लोसिस से हुई है, फिलहाल मामले की जांच हो रही है। महत्वपूर्ण है कि विगत दो माह के दौरान सोनभद्र में भूख से मौत का आंकड़ा सात जा पहुंचा है। बुंदेलखंड के बाद सोनभद्र में भुखमरी ने अपना कहर ढाना शुरू कर दिया है। अकाल मौतों का गांव कहे जाने वाले सोनभद्र केपांडू चट्टान में दो मासूम बच्चों की मां पार्वती ने अंतत: दम तोड़ दिया उसने तीन दिनों से कुछ नहीं खाया था। घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुमार पांडू चट्टान वो इलाका है जहां आज भी आदिवासियों को एक बूंद पानी के लिए तीन से चार किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती है।

1 comment:

Unknown said...

कोई बुख से मरे बहन मायावती की बला से। उनको तो ५६ भोग मिल रहा है। जिसका आनंद वो अपने सरकारी आवास मे ले रही होंगी और अपने युवराज राहुल डेल्ही मे मजे कर रहे होंगे। ये मान लो भाई हम गरीबो का सहारा अब कोई है तो सिर्फ़ भगवान और अपना मुकदर।