टेलीविजन चैनलों में निर्मल बाबा और टीआरपी घोटाले का एक अध्ययन


निर्मल बाबा उर्फ निर्मलजीत सिंह नरुला के हालिया घटनाक्रम ने टेलीविजन रेटिंग प्वाइंट (टीआरपी) के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। हिंदी न्यूज चैनलों की पत्रकारीता के मानक में भी गिरावट आई है। सडक़ से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक यह बहस का विषय बना हुआ है। हाल में सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया के लिए गाइडलाइन बनाने पर अपनी गंभीर टिप्पणी दी है।
पिछले एक हफ्ते से निर्मल बाबा और उनका बहुत लोकप्रिय प्रायोजित कार्यक्रम (पेड स्लॉट) – थर्ड आई ऑफ निर्मल बाबा ने हिंदी न्यूज चैनलों के दो धड़ों के बीच लड़ाई छेड़ दी है। एक धड़ा निर्मल बाबा के प्रायोजित कार्यक्रम को चलाने वालों में शामिल है। वहीं,  दूसरा धड़ा इसके खिलाफ है और उनके टीआरपी में लगातार गिरावट देखी गई है। तमाम धड़ों के बीच इस पर बहस चल रही है। ठीक उसी समय खबरिया और गैर खबरिया चैनलों पर प्रसारित लाखों लोगों को हास्यास्पद और अवैज्ञानिक सुझाव देने वाले निर्मल बाबा के बारे में वेबसाइट, अखबारों और कुछ समाचार चैनलों में नए-नए खुलासे हो रहे हैं।
मीडिया स्टडीज ग्रुप ने एक अध्ययन में पाया है कि कुछ समाचार चैनलों में थर्ड आई ऑफ निर्मल बाबाके प्रायोजित कार्यक्रम को चलाने के पीछे मची होड़ का मकसद टीआरपी हासिल करना रहा। टीआरपी की यह होड़  अनैतिक गतिविधियों का नतीजा है। टीआरपी बढ़ाने की होड़ में शामिल कुछ न्यूज चैनलों के अलावा टैम मीडिया रिसर्च भी बराबर का दोषी है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और एनबीए (न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन) भी इसके लिए कम जवाबदेह नहीं हैं। इन संस्थाओं ने भी बड़े पैमाने पर की जा रही इस धोखाधड़ी पर अपनी आंखें बंद रखीं। अब तक इन संस्थाओं ने चैनलों को अवैज्ञानिक और अंधविश्वास को बढ़ावा देने वाली सामग्री प्रसारित करने से नहीं रोका। इससे लोगों के बीच अवैज्ञानिक और अंधविश्वास को बढ़ावा मिला। यह पूरी तरह से नियमों और कानून का उल्लंघन है।
निर्मल बाबा के रातों रात चर्चित होने के घटनाक्रम पर विस्तार से बात करने से पहले टीआरपी (टेलीविजन रेटिंग प्वाइंट्स) की प्रक्रिया की जांच करनी चाहिए। हम इसकी जटिलताओं में नहीं जाएंगे। देश के विभिन्न शहरों में 8,000 से अधिक टीआरपी मीटर लगाए गए हैं। वहां यह विभिन्न निर्धारित समय पर निर्धारित दर्शक वर्ग से आंकड़े जुटाता है । इस अध्ययन का उद्देश्य केवल समाचार चैनलों के इस मामले को बेहतर ढंग से समझना है। टैम से जुड़े चैनलों को पहले अपना एफपीसी (फिक्सड प्वाइंट चार्ट) देना होता है। दूसरे शब्दों में कहें तो टैम को पहले से ही अपने प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों की सूची देनी होती है। टैम इसके बदले चैनलों को जमा किए गए एफपीसी के आधार पर सप्ताह भर दिखाये गए कार्यक्रमों के आधार पर आंकड़े और विश्लेषण मुहैया कराता है। टीआरपी के आधार पर न्यूज चैनलों की रैंकिंग तय करने में एफपीसी आधारित आंकड़ों का महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
यह सब इस साल जनवरी से शुरू हुआ है। थर्ड आई ऑफ निर्मल बाबा को कुछ न्यूज चैनलों पर सुबह और दोपहर में साल भर से पेड स्लॉटके रूप में दिखाया जा रहा था। इस पर बहुत कम लोगों ने गौर किया। इस साल जनवरी के अंतिम सप्ताह में कुछ घटा, और मार्च में इसने जबरदस्त रूप ले लिया।
जनवरी के तीसरे हफ्ते में हिंदी समाचार चैनलों की टीआरपी पर एक नजर डालिए। क्या यह साल भर से चले रहे पैटर्न को दिखा रहा है या साप्ताहिक आधार पर चैनलों की स्थिति में मामूली बदलाव आ रहा है। इस हफ्ते शीर्ष पांच कार्यक्रम में निर्मल बाबा कहीं नहीं हैं। इसमें आज तक के चार और स्टार न्यूज का एक कार्यक्रम शामिल है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इन पांचों कार्यक्रम को संबंधित चैनलों ने खुद तैयार किया है और यह सामान्य एफपीसी का हिस्सा है। इसमें किसी भी कार्यक्रम को पेडस्लॉट नहीं बताया गया है। आश्चर्य वाली बात है कि शीर्ष पांच कार्यक्रमों में से चार कार्यक्रम न्यूज बुलेटिन हैं।
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Top 5 Unique Programmes Week Three, 2012
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Aap Ke Tare
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Kaun Banega Mukhyamantri
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HSM 15+ Source TAM Media Research

खेल की शुरुआत
जनवरी के अंतिम हफ्ते में वास्तविक खेल शुरू हुआ। इसे नीचे दिए गए टेबल में भी दिखा जा सकता है। टीआरपी के विवरण में साफ साफ दिख रहा है कि थर्ड आई ऑफ निर्मल बाबाने शीर्ष पांच कार्यक्रमों में जगह बना ली है। न्यूज 24 पर प्रसारित इस कार्यक्रम ने चौथा स्थान हासिल किया। यह याद रखना चाहिए कि थर्ड आई ऑफ निर्मल बाबा समाचार नहीं है और यह पूरी तरह से प्रयोजित कार्यक्रम है। टैम और चैनल को यह स्पष्ट  करना चाहिए कि आखिर किस तरह से एक प्रायोजित कार्यक्रमको न सिर्फ टीआरपी में गिना गया, बल्कि टैम की तरफ से धार्मिक/डेवोशनल कैटेगरी में जारी चौथे हफ्ते के शीर्ष पांच समाचार कार्यक्रमों में शामिल किया गया। यह प्रायोजित कार्यक्रमपूरी तरह से विज्ञापन है और यह सामग्री नियमावली (कंटेंट गाइडलाइन) का खुले तौर पर उल्लंघन कर रहा है।
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Third Eye Of Nirmal Baba
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Aap Ke Tare
Religious/Devotional
Aaj Tak
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HSM 15+ Source TAM Media Research

फरवरी में एक बार फिर से थर्ड आई ऑफ निर्मल बाबाका प्रायोजित कार्यक्रम न्यूज 24 के जरिए शीर्ष पर पहुंच गया। यहीं से बदलाव शुरू हुआ और प्रतिस्पर्धा की वजह से सभी का ध्यन इधर गया। इसके बाद निर्मल बाबा को दिखाने की होड़ मच गई। बहरहाल, ज्यादा शर्मनाक बात यह है कि निर्मल बाबा को दिखा रहे कई चैनलों ने इस टीआरपी का जरिया बनाया और उन्होंने कार्यक्रम के दौरान एडवरटाइजमेंटभी नहीं लिखा। समाचार चैनलों ने निर्मल बाबा के खतरनाक सुझावों से अपना कोई संबंध न होने की भी जानकारी नहीं दी। कुछ दूसरे बाबा भी आधी रात के बाद खुद का विज्ञापन करते रहते हैं। हालांकि, उन कार्यक्रमों को एडवरटाइजमेंट लिखकर के साथ दिखाया जाता है। इसे एफपीसी में शामिल नहीं किया जाता है और इसे टीआरपी में शामिल नहीं किया जाता है।

Relative Shares Week Eight
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Top 5 Unique Programmes Week Eight
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Third Eye Of Nirmal Baba
Religious/Devotional
News 24
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Kaun Banega Mukhyamantri
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Vishesh
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10 Tak
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Aaj Tak
322
HSM 15+ Source TAM Media Research

हमारे पास अप्रैल तक के टैम के ताजा आंकड़े मौजूद हैं। इसमें भी निर्मल बाबा शीर्ष में दिख रहे हैं। इस बार इंडिया टीवी उन्हें शीर्ष पर ले जा रही है। कई दूसरे चैनल भी उनको प्रसारित कर टीआरपी कमा रहे हैं। न्यूज 24 दोहरे अंकों के साथ मजबूती से टिका हुआ है। यह जी न्यूज से आगे है। पी7 भी 6 के आस-पास पहुंच गया है। सहारा ने भी अपनी स्थिति में सुधार किया है।

Relative Shares Week 14
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News Express
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DD News
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Live India
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India News
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Top 5 Unique Programmes Week 14
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Top 5 Programmes of HINDI NEWS
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Third Eye Of Nirmal Baba
Religious/Devotional
India TV
469
3
Saas Bahu Aur Saazish-ky
Reviews/Reports
Star News
391
11
10 Tak
News Bulletin
Aaj Tak
323
12
Non Stop Superfast
News Bulletin
India TV
309
16
Vishesh
News Bulletin
Aaj Tak
294
HSM 15+ Source TAM Media Research.
हमारी टिप्पणी : इस बात के लिए थोड़ी देर को भूल भी जाएं कि यह अंधविश्वास को बढ़ावा देने वाली सामग्री से लोगों के बीच अवैज्ञानिक धारणा को बढ़ावा मिल रहा है, तो भी यह पूरी तरह से विज्ञापन है, जिसे समाचार बताकर पेश किया जा रहा है। इसे प्रसारित करते समय दर्शकों को किसी तरह का डिस्क्लेमर या चेतावनी जारी नहीं की जा रही है। नई परिघटना ज्यादा खतरनाक है। दरअसल, विज्ञापन और संपादकीय का एक दूसरे में विलय हो रहा है, जो कहीं ज्यादा खतरनाक है। यह बहुत ही आश्चर्यचकित करने वाला है कि सूचना व प्रसारण मंत्रालय और एनबीए इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं। गौरतलब है कि मंत्रालय और एनबीए नियमित आधार पर न्यूज चैनलों को एडवाइजरीज(हाल ही में सेना के एनसीआर तक आने से जुड़ी इंडियन एक्सप्रेस की खबर को लेकर एडवाइजरीजजारी की गई थी) जारी करते रहते हैं।



सन्दर्भ -
1.       सेक्शन 8- एनबीए (न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन) का सेल्फ रेगुलेशन गाइडलाइंस 
अंधविश्वास और जादू टोना को प्रोत्साहित या एडवोकेसी से दूरी बनाना: न्यूज चैनल किसी भी रूप में अंधविश्वास और जादू टोना को प्रोत्साहित करने वाली कोई सामग्री ब्रॉडकास्ट नहीं करेंगे। इस तरह की कोई खबर को ब्रॉडकास्ट करने पर न्यूज चैनलों को पब्लिक डिस्क्लेमर जारी करना होगा, ताकि दर्शकों को इस तरह के अंधविश्वासों और गतिविधियों के प्रति भ्रमित करने से रोका जा सके। न्यूज चैनल किसी भी सुपरनेचुरलगतिविधियों, भूत-प्रेत, निजी या सामाजिक डेविएशंस या डेविएंट व्यवहार से जुड़े मिथकों को बतौर फैक्टप्रसारित नहीं करेंगे और न ही उसे रिक्रिएट करेंगे। इस तरह के किसी भी रेफरेंस लेते समय न्यूज चैनल ऑन एयर राइडर्स/डिस्क्लेमर्स/चेतावनी जारी करेंगे, ताकि इस तरह की किसी भी गतिविधियों के बारे में दर्शकों को उसे वास्तविक लगने का भ्रम पैदा नहीं हो, ताकि तर्कसंगत संवेदनशीलता को नुकसान नहीं पहुंचे।

2.  प्रोग्राम एंड एडवरटाइजिंग कोड्स
केबल टेलीविजन नेटवर्क नियम 1994 के तहत उल्लेख
नियम-6, प्रोग्राम कोड-(1) केबल सर्विस पर किसी भी ऐसे कार्यक्रम को प्रसारित नहीं किया जा सकता है, जिसमें 
a. अच्छे व्यवहार को ठेस पहुंचाने वाले कंटेंट हों
b. किसी भी दोस्ताना संबंध वाले देशों की आलोचना करने वाले कंटेंट शामिल हों
c. धार्मिक भावनाओं पर हमला करने वाले कंटेंट या शब्द या विजुअल से धार्मिक समूहों को अपमानित करने वाले कंटेंट या सांप्रदायिक भावनाओं को प्रसारित करने वाले कंटेंट शामिल हों
d. घृणित, मानहानि, झूठे, जानबूझकर, सांकेतिक और अर्ध सत्य रूप से नुकसान पहुंचाने वाले कंटेंट हों
e. ऐसा कोई भी कंटेंट जो हिंसा को बढ़ावा दे या कानून व्यवस्था को बनाए रखने के खिलाफ हो या राष्ट्र विरोधी भावनाओं को प्रोत्साहित करने वाले हों
f. कोर्ट की अवमानना करने वाला कोई भी कंटेंट
g. प्रेसिडेंट और न्यायपालिका की निष्ठïा को कलंकित करने वाले कंटेंट शामिल हों
h. राष्ट्र की अखंडता को प्रभावित करने वाला कंटेंट 
i. किसी भी व्यक्ति या समूह, सामाजिक समूह और देश की नैतिकता की आलोचना, बदनाम या मानहानि करने वाला कंटेंट
j. अंधविश्वास को बढ़ावा देने वाला कंटेंट
k. किसी भी महिला की चित्र के साथ किसी भी रूप में छेड़छाड़ कर महिलाओं की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करने वाला कंटेंट। इसमें चित्र में महिला की शरीर या उसके किसी हिस्से को किसी भी रूप में जानबूझकर या अमर्यादित तरीके से प्रभावित करने वाले प्रयास वाले कंटेंट या महिला की सार्वजनिक नैतिकता या मोरल को नष्टï करने वाले किसी भी प्रयास से जुड़ा कंटेंट
l. बच्चों को नीचा दिखाने वाले कंटेंट
m. किसी भी इथनिक, भाषाई और धार्मिक समूह की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करने वाले शब्द या विजुअल वाले कंटेंट
n. सिनेमेट्रोग्राफ एक्ट, 1952 के प्रोविजन का उल्लंघन करने वाला कंटेंट
  o. गैर प्रतिबंधित सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए उपयुक्त नहीं होने वाले कंटेंट
3. The Drugs and Magic Remedies (Objectionable Advertisements) Act, 1954

harm of any kind which is alleged to possess miraculous powers for or in the diagnosis, cure, mitigation, treatment or prevention of any disease in human beings or animals or for affecting or influencing in any way the structure or any organic function of the body of human beings or animals;
 (d) 'taking any part in the publication of any advertisement' includes-1.Short title, extent and commencement
.-(1)  This Act may be called the Drugs and Magic Remedies (Objectionable Advertisements) Act, 1954.
 (2) It extends to the whole of India except the State of Jammu and Kashmir, and applies also to persons domiciled in the territories to which this Act extends who are outside the said territories.
 (3) It shall come into force on such date as the Central Government may, be notification in the Official Gazette, appoint.
  2.Definitions
.- In this Act, unless the context otherwise requires,-

(a) 'advertisement' includes any notice, circular, label, wrapper, or other document, and any announcement made orally or by any means of producing or transmitting light, sound or smoke;
 (b) drug includes-
 (i) a medicine for the internal or external use of human beings or animals;
 (ii)  any substance intended to be used for or in the diagnosis, cure , mitigation, treatment or prevention of disease in human beings or animals;
 (iii)  any article, other than food, intended to affect or influence in any way the structure or any organic function of the body of  human beings or animals;
 (iv)  any article intended for use as a component of any medicine, substance or article, referred to in sub-clauses (i), (ii) and (iii);
 (c) 'magic remedy' includes a talisman, mantra, kavacha, and any other c
 (i) the printing of the advertisement,
 (ii) the publication of any advertisement outside the territories to which this Act extends by or at the instance of a person residing within the said territories;
 (e) 'venereal disease' includes syphilis, gonorrhoea, soft chancre, venereal granuloma and lympho granuloma.
3.Prohibition of advertisement of certain drugs for treatment of certain diseases and disorders
.- Subject to the provisions of this Act, no person shall take any part in the publication of any advertisement referring to any drug in terms which suggest or are calculated to lead to the use of that drug for-
 (a) the procurement of miscarriage in women or prevention of conception in women; or
(b) the maintenance or improvement of the capacity of human beings for sexual pleasure; or
(c) the correction of menstrual disorder in women; or
(d) the diagnosis, cure, mitigation, treatment or prevention of any venereal disease or any other disease or condition which may be specified in rules made under this Act.
4.Prohibition of misleading advertisements relating to drugs
.- Subject to the provisions of this Act, no person shall take any part in the publication of any advertisement relating to a drug if the advertisement contains any matter which –
(a) directly or indirectly gives a false impression regarding the true character of the drug; or
(b) makes a false claim for the drug; or
(c) is otherwise false or misleading in any material particular.
 5.Prohibition of advertisement of magic remedies for treatment of certain diseases and disorders
.- No person carrying on or purporting to carry on the profession of administering magic remedies shall take any part in the publication of any advertisement referring to any magic remedy which directly which directly or indirectly claims to be efficacious for any of the purposes specified in section 3.


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