लाठी गोली की सरकार को जाना होगा !


गुर्जरों की हत्याएं बंद करो !


वसुन्धरा सरकार पर हत्या का मुकदमा दर्ज करो !


जन संघर्षों पर दमन बंद करों !


राजस्थान में गुर्जर समाज के लोगों के आन्दोलन को गोली और बंदूक के बल पर ख़त्म कराने का प्रयास कर रही वसुंधरा सरकार के दिन अब लड़ चुकें हैं. पुलिस और हत्या को अपने शासन का मूल मन्त्र मनाने वाली इस सरकार ने अपने चार साल के शासनकाल में इसे कई नरसंहार किए . कभी पानी मांग रहे किसानों की हत्या की कभी आरक्षण मांग रहे गुर्जरों की हत्या की. इसी हत्यारी सरकार को अब राज्य में बने रहने का कोई अधिकार नहीं है. राज्य की भाजपा सरकार राष्ट्रीयता और अस्मिता के लिए लोगों को आपस में लड़ती रहीं है. लेकिन जब समाज के निचले तबके के पिछडे और दलित लोग अपनी हिस्सेदारी की मांग करते हैं तो उन्हें वही भाजपा सरकार गोली मार देती है. गुर्जर समाज के इस आन्दोलन में पिछले साल से लेकर अब तक ६० लोगों की हत्याएं सरकार के इशारों पर पुलिस कर चुकी है. कुछ दिन पहले तक यही वसुन्धरा राजे थीं जो जयपुर बम धमाकों में मरे गए लोंगो पर घडियाली आंसू बहा रही थी. लेकिन अब उनका असली चेहरा लोगों के सामने है. आन्दोलन कर रहे लोगों पर वह ख़ुद गोलियां बरसा रहीं हैं.राजस्थान के लडाकूं किसान जाति के गुर्जर लोगों ने भी इसी सरकार के आगे अभी तक घुटने नहीं टेकें हैं. पिलुपुरा (भरतपुर) और सिकंदरा (दौसा) में लोग मारे गए लोगों की लाशों के साथ अभी भी रेलवे लाइनों पर बैठें हैं. अब देखना हैं की सरकार उनकी मांगे मानती है या आन्दोलन को लीड करें वाले पीछे हटतें हैं. नतीजा जो भी हो लेकिन अब तो तय है की आने वाले दौर में ऐसे ही जनता लड़ेगी और सरकारों को उनके आगे घुटने टेकना होगा. असली आजादी के लिए संघर्ष कराने का इतिहास पुराना है और भारत की जनता तो 'आजादी' के बाद भी लड़ रही है. तेभागा- तेलंगाना से शुरू यह संघर्ष नक्सलबाडीहोते हुए सिंगुर नंदीग्राम तक आता है और अभी तबतक जरी रहेगा जब तक की मनुष्य द्वारा मनुष्य का शोषण बंद नही हो जाता.

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