जयपुर धमाकों के पीछे कौन ?




जयपुर धमाकों ने एक बार फ़िर से देश को दहला दिया है. ७० से अधिक की मौत, २०० घायल. जीतनी भी निंदा की जाय कम है. हर तरफ लोगों में खौफ है. मिडिया के हाथे एक नया मुद्दा लग गया है. खौफ को बढ़ने में हर संभव लगी है.इस घटना के इस पहलू पर अगर बात करें तो उसके लिए यह नया नहीं है. वह फ़िर इस घटना के पीछे सीमा पर के आतंकवादी गुटों का हाथ होने के अफवाह उड़ाने लग गई है. घटना के लिए हुजी और लश्कर को जिमेद्दर बताया जा रहा है. हालांकि इन संगठनों इससे इंकार किया है लेकिन इन पर विश्वाश कैसे किया जा सकता है. हाँ अगर वह इसकी जिमेद्दारी ली होती तो लोग आसानी से मान लेते. लेकिन लगातार ऐसी घटनाओं मी बढोतरी के कारण तलाशे ज़रूरी हो गए हैं. और जब इसके कारणों की बात की जायेगी तो इसमे राजनीतिक मिलीभगत जैसी कड़वी सच्चाई से भी इंकार नही किया जा सकता. संसद हमले के उदाहरण हमारे सामने हैं. जिसमे पुलिस इसके कारणों का पता अभी तक नही लगा सकी है. इस मामले मी दोषी अफ़ज़ल गुरु को भी अदालत ने केवल इस लिए सज़ा दी है की हमले के बाद 'लोगों के विवेक को संतुष्ट कराने के लिए यह किसी को सज़ा देना ज़रूरी था'. हमले के बाद मीडिया का रुखापुरी तरह से भड़काऊ रहा. अगर उसके हिसाब से समाज का ढांचा हो तो वह पुरी तरह से पुलिस समाज होगा. ऐसी घटनाएँ सरकारों को भी सुरक्षा के नाम पर पुलिस राज्य बनने मी मददगार साबित होतीं हैं.

No comments: