दलितों पर गोलीबारी

उत्तर प्रदेश की ताज़ा हालत पर यह रिपोर्ट हमे डेली न्यूज़ एक्टिविस्ट के पत्रकार अतुल कुमार ने भेजी है. दलितों की मसीहा कही जाने वाली मायावती की सरकार में दलितों की सरकारी हत्या कोई ने बात नहीं है. सोरों इसका ताज़ा उदाहरण है. इससे पहले भी उनकी सरकार में चंदौली के १६ आदिवासिओं की पुलिस ने नक्सली बता कर हत्या कर दी थी. दूसरी रिपोर्ट भी यू.पी. सरकार की नौकरशाही में चल रही हलचल की है.

सोरों से तहसील छीने जाने के मामले को लेकर चल रहे आंदोलन ने शुक्रवार को उग्र रूप धारण कर लिया। तीर्थ नगरी में पुलिस व प्रदर्शनकारियों के बीच चार घंटे तक हुए संघर्ष में पुलिस की गोली से एक युवक की मौत हो गई और तीन अन्य गंभीर रूप से घायल हुए है। पुलिस गोली से जाटव जाति के युवक की मौत के बाद लोगों का आक्रोश भड़क गया। प्रदर्शन कर रहे लोगों ने पीलीभीत-कासगंज पैसेंजर ट्रेन के इंजन व दो बोगियों, बीएसएनएल के मोबाइल टावर व पुलिस की एक जीप में आग लगा दी।
सोरों के तहसील बचाओ आंदोलन में एक मरा, तीन जख्मी
लोगों ने ट्रेन के इंजन व बोगियों में आग लगाई


आंदोलन कर रहे लोगों ने अधिकारियों व पुलिस को भी निशाना बनाया। पथराव के दौरान आठ पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं। तीर्थ नगरी में जबरदस्त तनाव था और पुलिस व लोगों के बीच देरशाम तक संघर्ष जारी था। प्रशासन ने कर्फ्यू घोषित कर दिया है, जिससे लोग घरों से न निकलें। बसपा सरकार द्वारा सोरों से छीनकर सहावर को तहसील का दर्जा दिलाए जाने से क्षुब्ध लोग गत सात दिनों से प्रदर्शन कर रहे थे। शुक्रवार को शहर का ही एक युवक एक निजी मोबाइल कंपनी के टावर पर चढ़ गया और तहसील का दर्जा बहाल किए जाने की मांग करने लगा। इस युवक को देखकर शहर के लोगों का आक्रोश भड़क गया। देखते ही देखते हजारों लोग टावर के पास एकत्र हो गए। दस बजे के करीब सोरों के एसडीएम व क्षेत्राधिकारी पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे और युवक को मोबाइल से उतारने का प्रयास करने लगे। जिससे मौके पर मौजूद प्रदर्शनकारी भड़क गए। उनमें से कुछ ने अधिकारियों से अभद्रता की और उन्हें वहां से भगा दिया। सरकार विरोधी नारेबाजी के साथ ही दोपहर एक बजे के करीब प्रदर्शनकारियों व पुलिस के बीच तनाव बढ़ गया।हजारों लोगों ने बरेली से कासगंज जा रही 138 डाउन पैसेंजर ट्रेन को रोक लिया और ट्रेन के इंजन व दो बोगियों में आग लगा दी, जिससे ट्रेन में सवार यात्रियों को जान बचाने के लिए वहां से भागना पड़ा। कुछ देर बाद ही अलीगढ़ के मंडलायुक्त व पुलिस उप महानिरीक्षक [डीआईजी] भी मौके पर पहुंच गए। इसी बीच शहर के कछला गेट पर प्रदर्शन कर रहे जाटव समुदाय के लोगों व पुलिस के बीच संघर्ष शुरू हो गया। पुलिस ने बिना किसी मजिस्ट्रेट के आदेश के ही प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग शुरू कर दी, जिसमें एक युवक की मौत हो गई और तीन अन्य घायल हो गए।पुलिस की गोली से युवक की मौत के बाद प्रदर्शन कर रहे लोग उग्र हो गए। उन्होंने मृतक के शव को रखकर प्रदर्शन शुरू कर दिया और शहर में स्थित बीएसएनएल के टावर व पुलिस की जीप को आग के हवाले कर दिया। उन्होंने टावर की सुरक्षा कर रहे दो पुलिस कर्मियों को पीट-पीट कर अधमरा कर दिया। उसके बाद प्रदर्शन कारियों को जो भी पुलिसकर्मी दिखाई दिया उसे पीटा। प्रदर्शन कर रहे लोगों के पथराव में उप जिलाधिकारी [एसडीएम] सोरों और आठ पीएसी के जवान भी घायल हुए हैं।तीर्थ नगरी में प्रशासन ने कर्फ्यू लगा दिया। उसके बाद अनियंत्रित पुलिस कर्मियों का तांडव शहर में जारी है। पुलिस वालों ने लोगों के घरों में घुसकर महिलाओं से अभद्रता की व लोगों को देररात तक पीटते रहे। जिससे स्थानीय लोगों में खासा आक्रोश था। आज की घटना के बाद क्षेत्र में जबरदस्त तनाव है।


हम हैं उनके साथ खड़े जो सीधी रखते अपनी रीढ़


बात कहने में थोड़ी देर हो गई। लेकिन कभी-कभी देरी से इतना तो साफ हो ही जाता है कि किसने क्या कहा। तो यह साफ हो गया कि किसी ने कुछ नहीं कहा। पिछले दिनों उत्तर प्रदेश में एक बड़ी घटना घटी जब प्रदेश के मुख्य सचिव प्रशांत कुमार मिश्र को इस्तीफा देना पड़ा। इस्तीफा बड़ी घटना नहीं, बड़ी घटना अपने चरित्र और ईमानदारी को लोलुप सत्ता सियासतदानों के आगे घुटने टेकने से बचा ले जाने की है।सुख-सुविधा की अभिप्सा में चाटुकारिता कर अपना जीवन गंवा देने वाले नौकरशाहों के लिए प्रशांत कुमार मिश्र ने एक नजीर स्थापित की, बड़ी घटना यह थी। लेकिन कोई कुछ नहीं बोला। एक बड़ी घटना इस्तीफे की एक मामूली खबर में सिमट गई और छप गई। विस्तृत पढ़ें.....

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