क्यूबा की क्रांति के पचास साल ऐसे अहम दौर में पूरे हुए हैं, जबकि पूरी दुनिया में कथित तौर पर मंदी छाई है. पूंजीवादी अर्थव्यवस्था और उसके पैरोकार एक बार फ़िर मार्क्स की 'पूँजी' के पन्ने पलट रहे हैं. ऐसे दौर में क्यूबा उनके लिए लाइट टॉवर की तरह है. क्यूबा की क्रांति को शिवराम अपना सलाम पेश कर रहे हैं. शिवराम ख़ुद भी बड़े मार्क्सवादी विचारक और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (यूनाइटेड) के पोलित ब्यूरो सदस्य है. राजस्थान के कोटा शहर के रहने वाले शिवराम एक कुशल संगठनकर्ता के साथ-साथ रंगकर्मी व साहित्यकार भी हैं.
- शिवराम
- शिवराम
क्यूबा की क्रांति को 50 वर्ष पूरे हो गए हैं। क्यूबा समाजवादी व्यवस्था की श्रेष्ठता का जीता जागता मिसाल है। समाजवाद की मिसाल तो सोवियत संघ व दूसरे यूरोपीय देशों ने भी बनाई, लेकिन वे इसे कायम नहीं रख सके। पंूजीवादी षडयंत्रों ने उन्हें लील लिया। यद्यपि समाजवादी व्यवस्था की श्रेष्ठता उन्होंने भी सिद्ध की।
क्यूबाई क्रांति के एक साल बाद ही क्यूबा से अशिक्षा नाम की चीज बिल्कुल खत्म हो गई। क्रांति के तुरंत बाद ही प्राथमिक स्तर से लेकर उच्च स्तर तक की शिक्षा मुफ्त कर दी गई। आज क्यूबा में दुनिया के किसी भी देश से प्रति व्यक्ति शिक्षकों की संख्या ज्यादा है। क्यूबा ने क्रांति के ठीक बाद जो जन साक्षरता अभियान चलाया, वह सारी दुनिया के लिए उदाहरण बन गया।क्यूबा की कम्युनिस्ट पार्टी की समझ रही है कि सामाजिक बराबरी के लिए सबसे महत्वपूर्ण औजार शिक्षा है। इसी प्रकार क्यूबा की स्वास्थ्य रक्षा व्यवस्था दुनिया के लिए उदाहरण है।
क्यूबा की क्रांतिकारी सरकार ने शिक्षा व स्वास्थ्य को अपने कार्यक्रम में अहम दर्जा दिया। क्यूबा में हर एक लाख लोगों पर 591 डाॅक्टर हैं। यह दुनिया का सबसे बड।ा अंाकडा है। अमेरिका में यह संख्या एक लाख लोगों पर 256 ही है। 2006 के आंकड़ों के मुताबिक शिशु मृत्यु दर 1000 प्रसवों पर मात्र 5 3 है। अमेरिका में यह दर इससे काफी उॅंचा है। भारत जैसे देषों की तो बात ही छोड़िए। क्यूबा में क्रांति से पूर्व शिशु मृत्यु दर इससे दस गुना ज्यादा था। क्यूबा में औसत आयु 78 वर्ष है। क्रांति से पूर्व यह 58 वर्ष था। दूसरे लैटिन अमेरिकी देशों में आज भी शिशु मृत्यु दर क्यूबा से दस गुना ज्यादा है। महिला सशक्तिकरण क्यूबा क क्रांति की एक और बड़ी सफलता है। क्यूबा की कुल श्रमशक्ति में महिलाओं की संख्या 40 प्रतिशत है। तकनीकी श्रम शक्ति में तो महिलाओं की संख्या 66 प्रतिशत है। क्यूबा की राष्टीय एसेम्बली में 36 प्रतिशत महिलाएं है। खेलकूद और कला संस्कृति की दुनिया में क्यूबा की उपलब्धियां दुनिया भर के लिए इर्ष्या का विषय है।
सोवियत संघ के पतन के बाद क्यूबा-क्रांति को भारी संकट का सामना करना पड़ा। एक ओर साम्राज्यवाद ने नाकेबंदी सहित तमाम षड़यंत्र क्यूबाई क्रांति को नेस्तोनाबूद करने के लिए किए तो दूसरी ओर क्यूबा से पूर्व समाजवादी देशों को बड़े पैमाने पर निर्यात होता था, अब वह भी बंद हो गया। पूरी अर्थव्यवस्था संकट में आ गई। क्यूबा का 85 प्रतिशत व्यापार समाजवादी शिविर देशों से था। 1993 में क्यूबा की अर्थव्यवस्था में 39 प्रतिशत की गिरावट आ गई थी। दुनिया के पूंजीवादी भविष्यवक्ता क्ूयबाई क्रांति का मर्सिया पढ़ने की तैयारी कर रहे थे। लेकिन क्यूबा के श्रमजीवी जन-गण ने अपनी क्रांतिकारी सरकार के नेतृत्व में फिर करिश्मा कर दिखाया।2005 तक क्यूबा की अर्थव्यवस्था वापस अपनी पुरानी स्थिति में लौटने बढ़ने लगी। एक बात जो बहुत महत्वपूर्ण है कि सोविय संघ के पतन के बाद के वर्षों में जब क्यूबा की अर्थव्यवस्था संकट में फंस गई, तब भी क्यूबा की सरकार ने जनता की मूलभूत आवश्यकताएं, जो क्यूबाई क्रांति की चार प्राथमिकताओं के नाम से जानी जाती है जारी रखी। ये हैं- १. मुफ्त स्वास्थ्य सेवा २. मुफ्त शिक्षा ३. सभी के लिए सामाजिक सुरक्षा और ४. सभी के लिए आवास।
क्रांति ने क्यूबा में जो एक और बड़ा काम किया वह है- नस्लवादी विचारों व भावनाओं का खात्मा। क्रांति से पहले क्यूबा में नस्ली पूर्वाग्रह बहुत था। इस क्षेत्र में क्यूबा में दास प्रथा सबसे बाद में समाप्त हुई थी। क्यूबा की क्रांतिकारी सरकार ने क्रांति के फौरन बाद आधारभूत भूमि सुधार लागू किया और आवासविहीन लोगों को आवास उपलब्ध कराए। इस तरह हाशिये पर पड़ी अश्वेत आबादी को सुरक्षाव सम्मान दोनों उपलब्ध कराया। शिक्षा के प्रसार ने हीन बोध से मुक्त किया और उनकी गरिमा स्थापित की। क्यूबा की कम्युनिस्ट पार्टी ने क्रांति के ठीक बाद पूरे देश में नस्लवाद के विरुद्ध विचारधारात्मक अभियान चलाया। उसने अफ्रीकी देशों का भी नस्लवाद उपनिवेशवाद से लड़ने में सहयोग किया। सत्तर व अस्सी के दशक में अफ्रीकी देशों के मुक्ति आंदोलनों तथा प्रगतिशील सरकारों की क्यूबा सरकार व कम्युनिस्ट पार्टी ने महत्वपूर्ण मदद की। अल्जीरिया की मोरक्कों के आक्रमण के समय सैनिक मदद की । कांगो के मुक्ति के योद्धाओं के संघर्ष में तो चेग्वेरा अपने साथियों सहित खुद शामिल हुए । अंगोला, मोजाम्बिक, केप वर्दे व नामीबिया जैसे देशों की आजादी के लिए चले संघर्षों में क्यूबा ने आगे बढ़कर मदद की। उसने दक्षिण अफ्रीका से रंगभेद के खात्मा व विऔपनिवेशिकरण की प्रक्रिया में प्रभावशाली भूमिका निभाई।क्यूबा की क्रांतिकारी सरकार ने सर्वहारा अंतर्राश्ट्ीयतावाद का झंडा जिस मजबूती से थामे रखा वह बेमिसाल है। एशिया, अफ्रीका व खासकर लैटिन अमेरिकी देषों में उसने राश्ट्ीय मुक्ति आंदोलन के लिए प्रेरणास्पद सहयोग किया। अभी भी क्यूबा के 30 हजार से अधिक डाॅक्टर तथा स्वास्थ्यकर्मी लैटिन अमेरिकी व कैरीबियाई देषों में तैनात हैं।
फिदेल कास्त्रों का कहना है कि क्यूबाईयों के लिए यह चमत्कार कर दिखाना इसलिए संभव हुआ ‘‘क्योंकि क्रांति को हमेशा से राष्ट का, एक प्रभावशाली जनता का, जो बड़े पैमाने पर एकजुट, शिक्षित व लड़ाकू हुई है, हमेशा से समर्थन हासिल था और रहेगा।’’ कास्त्रों की हत्या की 600 बार कोशिशें की गई। फिर भी वह जिंदा हैं। क्यूबाई क्रांति को समाप्त करने की हजारों कोशिशें फिर भी वह कास्त्रों की तरह जिंदा है। क्यूबा और कास्त्रों ने पूंजीवादी दुनिया को ठेंगा दिखाते हुए हर क्षेत्र में समाजवाद की श्रेष्ठता को स्थापित किया है। फिदेल कास्त्रों ने सत्ता हस्तान्तरण करके भी एक मिसाल कायम की है। अब जब साम्राज्यवादी पूंजीवाद अर्थव्यवस्था धराषराई है और फिर से सारी दुनिया समाजवादी राजनैतिक अर्थशास्त्र की ओर देखने लगी है। सोवियत संघ व समाजवादी देषों की पहली पीढ़ी के पतन के बाद जो निराषा का माहौल छाया था वह छंटने लगा है। क्यूबा और कास्त्रो ने लाल सितारे की तरह, धू्रव तारे की तरह चमक रहे हैं और दुनिया को अग्रगति का रास्ता दिखा रहे हैं।
क्यूबा और कास्त्रो को लाल सलाम !!
क्यूबाई क्रांति अमर रहे !!
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