सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ की जेल में बंद नागरिक अधिकारों के लिए काम करने वाले डॉ विनायक सेन को आज जमानत दे दी.
डॉ सेन पिछले दो वर्षों से छत्तीसगढ़ की जेल में बंद थे और राज्य सरकार ने उन पर माओवादियों की मदद करने का आरोप लगाया था.
न्यायाधीश मार्कण्डेय काटजू और दीपक वर्मा की खंडपीठ ने अपने फ़ैसले में कहा कि डॉ वर्मा को निजी मुचलके पर स्थानीय अदालत से ज़मानत दे दी जाए.
नागरिक अधिकारों के लिए काम करने वाले बिनायक सेन सेन की दुनिया भर में साख है. पेशे से डॉक्टर बिनायक सेन की रिहाई के लिए दुनिया के कई नोबल पुरस्कार विजेताओं ने भी राज्य सरकार को पत्र लिखा था.
डॉक्टर बिनायक सेन शुरु से राज्य सरकार के आरोपों का खंडन करते रहे हैं और कहते रहे हैं कि वो नक्सलियों का साथ नहीं देते लेकिन वो साथ ही राज्य सरकार की ज्यादतियों का भी विरोध करते रहे हैं.
पिछले दो वर्षों से डॉ सेन बार बार सुनवाई की अपील करते रहे हैं और आखिरकार उन्हें सुप्रीम कोर्ट से ही राहत मिल सकी है।
कौन हैं डॉ बिनायक सेन?
खादी का बिना प्रेस किया हुआ कुर्ता-पाजामा, लंबी बढ़ी दाढ़ी और पैरों में साधारण स्पोर्ट्स शू पहने 57 वर्षीय डॉक्टर बिनायक सेन को देखकर अक्सर उनके समूचे व्यक्तित्व का पता नहीं चल पाता.
कुछ लोग उन्हें सीधे-सादे सामाजिक कार्यकर्ता के रुप में जानते हैं तो कुछ एक बौद्धिक चिंतक के रुप में और अब पुलिस उन्हें नक्सलियों का सहयोगी बताती है.
छत्तीसगढ़ की शहरी आबादी भले ज़्यादा न जानती रही हो लेकिन वहाँ के दूरस्थ इलाक़ों के गाँव वाले और आदिवासी उन्हें अपने हितचिंतक के रुप में जानते रहे हैं.
पेशे से चिकित्सक डॉ बिनायक सेन छात्र जीवन से ही राजनीति में रुचि लेते रहे हैं.
उन्होंने छत्तीसगढ़ में समाजसेवा की शुरुआत सुपरिचित श्रमिक नेता शंकर गुहा नियोगी के साथ की और श्रमिकों के लिए बनाए गए शहीद अस्पताल में अपनी सेवाएँ देने लगे.
इसके बाद वे छत्तीसगढ़ के विभिन्न ज़िलों में लोगों के लिए सस्ती चिकित्सा सुविधाएँ उपलब्ध करवाने के उपाय तलाश करने के लिए काम करते रहे.
डॉ बिनायक सेन सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता तैयार करने के लिए बनी छत्तीसगढ़ सरकार की एक सलाहकार समिति के सदस्य रहे और उनसे जुड़े लोगों का कहना है कि डॉ सेन के सुझावों के आधार पर सरकार ने ‘मितानिन’ नाम से एक कार्यक्रम शुरु किया.
इस कार्यक्रम के तहत छत्तीसगढ़ में महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता तैयार की जा रहीं हैं.
स्वास्थ्य के क्षेत्र में उनके योगदान को उनके कॉलेज क्रिस्चन मेडिकल कॉलेज, वेल्लोर ने भी सराहा और पॉल हैरिसन अवॉर्ड दिया और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वास्थ्य और मानवाधिकार के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए जोनाथन मैन सम्मान दिया गया.
डॉ बिनायक सेन मानवाधिकार संगठन पीयूसीएल की छत्तीसगढ़ शाखा के उपाध्यक्ष भी हैं.
इस संस्था के साथ काम करते हुए उन्होंने छत्तीसगढ़ में भूख से मौत और कुपोषण जैसे मुद्दों को उठाया और कई ग़ैर सरकारी जाँच दलों के सदस्य रहे.
उन्होंने अक्सर सरकार के लिए असुविधाजनक सवाल खड़े किए और नक्सली आंदोलन के ख़िलाफ़ चल रहे सलमा जुड़ुम की विसंगतियों पर भी गंभीर सवाल उठाए.
सलवा जुड़ुम के चलते आदिवासियों को हो रही कथित परेशानियों को स्थानीय और राष्ट्रीय मीडिया तक पहुँचाने में भी उनकी अहम भूमिका रही.
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाक़े बस्तर में नक्सलवाद के ख़िलाफ़ चल रहे सलवा जुड़ुम को सरकार स्वस्फ़ूर्त जनांदोलन कहती है जबकि इसके विरोधी इसे सरकारी सहायता से चल रहा कार्यक्रम कहते हैं. इस कार्यक्रम को विपक्षी पार्टी कांग्रेस का भी पूरा समर्थन प्राप्त है.
छत्तीसगढ़ की भारतीय जनता पार्टी सरकार ने 2005 में जब छत्तीसगढ़ विशेष जनसुरक्षा अधिनियम लागू करने का फ़ैसला किया तो उसका मुखर विरोध करने वालों में डॉ बिनायक सेन भी थे.
उन्होंने आशंका जताई थी कि इस क़ानून की आड़ में सामाजिक कार्यकर्ताओं और पत्रकारों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है.
उनकी आशंका सही साबित हुई और इसी क़ानून के तहत उन्हें 14 मई 2007 को गिरफ़्तार कर लिया गया.
छत्तीसगढ़ पुलिस के मुताबिक़ बिनायक सेन पर नक्सलियों के साथ साठ-गांठ करने और उनके सहायक के रूप में काम करने का आरोप है.
हालांकि वे ख़ुद इसे निराधार बताते हैं और पीयूसीएल इसे सरकार की दुर्भावना के रुप में देखती है.
दुनिया भर से अपील
डॉ बिनायक सेन पिछले एक साल से जेल में हैं और उनकी रिहाई के लिए देश के बुद्धिजीवी और सामाजिक कार्यकर्ता अपील करते रहे हैं.
अब दुनिया भर के 22 नोबेल पुरस्कार विजेताओं ने डॉ बिनायक सेन की रिहाई की अपील की है.
नोबेल पुरस्कार विजेता चाहते हैं कि उन्हें जोनाथन मैन सम्मान लेने के लिए अमरीका जाने की अनुमति दी जाए.
पिछले एक साल में बहुत सी कोशिशों के बाद भी डॉ सेन को ज़मानत नहीं मिल सकी है.
उनकी गिरफ़्तारी के एक साल पूरा होने पर 14 मई को देश भर में विरोध प्रदर्शन की योजना बनाई जा रही है.
डॉ बिनायक सेन की पत्नी डॉ इलीना सेन भी जानीमानी सामाजिक कार्यकर्ता हैं और वे डॉ सेन को न्याय दिलाने के लिए संघर्ष कर रही
बीबीसी हिंदी डॉट कॉम
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