संज़रपुर से शुरू हुआ मुस्लिम युवकों का पलायन

पीयूएचआर ने दिल्ली मुठभेड़ पर उठाए सवाल

दिल्ली धमाकों के प्रमुख आरोपियों के गांव संजरपुर से नौजवानों का पलायन शुरू हो गया है। बम धमाकों के बाद से ही यह गांव पुलिस और खुफिया एजंसियों के निशाने पर आया। गांव के ज्यादातर लड़के अपने रिश्तेदारों के यहां दूसरी जगहों पर चले गए हैं। जो लड़के अन्य महानगरों में उच्च व तकनीकी शिक्षा के लिए बाहर गए थे, वे भी अपने ठिकानों से नदारत हैं। ज्यादातर के मोबाइल फोन बंद हैं और चोरी-छुपे वे अपने घर-परिवार के लोगों से संपर्क कर रहे हैं। मुसलिम नौजवानों को डर है कि बम धमाकों के नाम पर कहीं उन्हें फंसा न दिया जए। इस बीच पीपुल्स यूनियन फार ह्यूमन राइट्स (पीयूएचआर) के प्रतिनिधिमंडल ने संजरपुर गांव का दौरा करने के बाद बताया कि पुलिस मुठभेड़ में मारे गए और गिरफ्तार किए गए आरोपियों के घर वालों से पूछताछ के नाम पर बदसलूकी कर रही है। घर की महिलाओं से अभद्र व्यवहार किया गया और संप्रदाय सूचक गालियां दी गई। पीयूएचआर ने दिल्ली के इनकाउंटर को संदिग्ध बताते हुए पूरे मामले की जंच सुप्रीम कोर्ट के सिटिंग जज से कराने की मांग की है। इस मांग के समर्थन में यह मानवाधिकार संगठन कल उत्तर प्रदेश विधानसभा पर धरना देगा।पीयूएचआर के प्रतिनिधिमंडल ने आज संजरपुर गांव का दौरा किया और कई घंटे गांव में गुजरे। प्रतिनिधिमंडल के सदस्य विनोद यादव, राजीव यादव, सरफराज कमर, तारिक शफीक और शहनवाज आलम ने गांव के कई लोगों से बातचीत कर माहौल का जयज लिया। गौरतलब है कि संजरपुर गांव में धमाकों के बाद से ही दहशत का माहौल है। यहां के अनवारूल कुरान मदरसे में करीब तीन सौ लड़के पढ़ने जते थे पर आज इनकी संख्या ४0 रह गई है। यहां भी पुलिस ने पूछताछ की। बाकी लड़कों के घरवालों ने उन्हें यहां से रूखसत कर दिया है। गांव वालों का मानना है कि अगर लड़के घर में रहे तो पुलिस उन्हें किसी न किसी धमाके के चक्कर में फंसा देगी। संजरपुर के डा। जवेद अख्तर का लड़का असदुल्ला कोटा में इंजीनियरिंग की तैयारी कर रहा है। पर दिल्ली धमाकों के बाद गांव में पुलिस की दबिश से वह भी दहशत में है। गांव आने में डर रहा है तो कोटा रहने में भी। यही स्थिति दिल्ली, मुंबई और अन्य महानगरों में तकनीकी शिक्षा व उच्च शिक्षा लेने वाले इस गांव के लड़कों की है। संजरपुर गांव की संपन्नता पिछले डेढ़ दशक में बढ़ी है जिसके चलते यहां के लड़के बाहर निकल रहे हैं। गांव में २५ फीसदी लोग खेती पर निर्भर हैं जबकि ४0 फीसदी दुबई व खाड़ी देशों में नौकरी करते हैं। ३५ फीसदी लोग मुंबई व अन्य जगहों पर रोजगार में लगे हुए हैं। गांव की ७५ फीसदी अर्थ व्यवस्था मनीआर्डर पर निर्भर है। ऐसे में दिल्ली के बम धमाकों के बाद गांव के लोग ज्यादा परेशान हैं। दिल्ली मुठभेड़ में मारे गए साजिद के भाई जहिद ने कहा, ‘मेरे भाई की उम्र १६ साल थी और पुलिस उसे पांच साल पहले हुए धमाकों में संलिप्त बता रही है। क्या ११ साल की उम्र में ही वह आतकंवादी बन गया था।’एक तरफ गांव वाले आतंकवाद के ठप्पे से परेशान हैं तो दूसरी तरफ पुलिस की दबिश से। मंगलवार को पुलिस ने गांव पर छापा मारा और घर से लेकर बैंक तक उन लोगों के खाते खंगाले जिन का नाम दिल्ली धमाकों में आया है। दिल्ली विस्फोटों का मास्टरमाइंड माने जने वाले आतिफ के खाते में १४0९ रूपए निकले। इसी तरह अन्य लोगों के खातों में भी रकम कुछ हजर तक सीमित रही। मानवाधिकार संगठन पीयूएचआर के शाहनवाज आलम ने कहा-आतिफ के खाते में १४0९ रूपए निकलते हैं और दावा किया गया था कि उसके खाते में करोड़ो रूपए का लेन-देन हुआ है। पुलिस को अब ये बताना चाहिए कि यह आरोप उसने किस आधार पर लगाए थे। उन्होंने यह भी कहा कि मारे गए और पकड़े गए आरोपियों को लश्कर का आतंकी बताते हुए लखनऊ से लेकर संकटमोचन मंदिर विस्फोट का मास्टर माइंड तक बताया गया था। हैरानी की बात यह है कि यदि मास्टर माइंड ये थे लेकिन संकट मोचन मंदिर विस्फोट के सिलसिले में मुख्य आरोपी वलीउल्लाह को दस वर्ष व पांच आरोपियों को पांच वर्ष की सज दी गई है।पीयूएचआर ने दावा किया कि दिल्ली में मुठभेड़ की घटना संदिग्ध नजर आ रही है। खासकर जिस तरह मुठभेड़ शुरू होने से पहले ही दो लोगों की लाशें वहां से उठा ली गईं। यह जनकारी पीयूएचआर की टीम को स्थानीय लोगों ने दी। पीयूएचआर ने यह भी सवाल उठाया है कि मुठभेड़ में मारे गए पुलिस अफसर को गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद एक किलोमीटर दूर अस्पताल ले जने में आधे घंटे से ज्यादा समय क्यों लगा, उन्हें पैदल क्यों ले जया गया? यदि उन्हें समय पर अस्पताल पहुंचा दिया जता तो ज्यादा खून बहने की वजह से उनकी मृत्यु नहीं होती। पीयूएचआर इन सवालों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के सिटिंग जज से जंच कराने की मांग को लेकर कल विधानसभा पर धरना देने ज रही है। शाहनवाज आलम ने आरोप लगाया कि पुलिस की वजह से संजरपुर गांव से नौजवानों का पलायन शुरू हो चुका है। यह गंभीर संकेत है। अम्बरीश कुमार (साभार- जनसत्ता)

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