धमाकों के पीछे दहशतगर्द -सिमी अध्यक्ष


अम्बरीश कुमार
प्रतिबंधित स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के अध्यक्ष शाहिद बद्र फलाही ने दिल्ली में हुए बम धमाकों के लिए सीआईए और मोसाद को जिम्मेदार ठहराया है। शाहिद बद्र फलाही ने कहा, ‘चौदह सितम्बर और फिर आज दिल्ली में जो धमाके हुए उसके लिए सीधे-सीधे अमेरिकी और इजराइली खुफिया एजंसी जिम्मेदार हैं। ये देश अपने हथियारों और सुरक्षा उपकरणों का बाजर तैयार करने के लिए एशियाई देशों को निशाना बना रहे हैं। बम धमाके होंगे तो इनके हथियार व सुरक्षा उपकरणों का बाजर भी बढ़ेगा। हम इन धमाकों की पुरजोर निंदा करते हैं और जो लोग इन हादसों में मारे गए, उनके परिवार वालों से हमदर्दी जताते हैं। हम उनके दुख-दर्द में साथ हैं। वे दहशतगर्द हैं जिन्होंने इस घटना को अंजम दिया।’फलाही ने आगे कहा कि इन धमाकों से मुसलमान का कोई संबंध नहीं है। आज भी देश में जो १७५ दहशतगर्द तंजीमे हैं, उनमें सिर्फ दो तंजीमें इस्लामी है, बाकी सब गैर-इस्लामी। इनमें एक तंजीम इंदौर अंजुमन का पता नहीं और दूसरी हमारी सिमी प्रतिबंधित है। सिमी पर जब से प्रतिबंध लगा है, उसके बाद से इस संगठन की सभी गतिविधियां ठप हैं। इस संगठन का सालों से कोई नया सदस्य भी नहीं बना है। यह पूछे जने पर कि क्या इंडियन मुजहिदीन का सिमी से कोई संबंध नहीं है, फलाही ने कहा-इंडियन मुजहिदीन फर्जी तंजीम है जो मुसलिम समुदाय को बदनाम करने के लिए बनाई गई है। अमेरिका और इजराइल जिस तरह एशियाई देशों में दहशतगर्दी फैला रहा है, उसे देखते हुए साफ है कि इंडियन मुजहिदीन का मुखौटा लगाकर ये देश भारत में दहशत फैलाना चाह रहे हैं। इस काम में आरएसएस इनकी मददगार बना हुआ है। फलाही ने कहा कि हर बार मुसलमान से ही देश भक्ति का सबूत क्यों मांगा जता है। जब भी धमाके होते हैं तो हमेशा सवाल मुसलिम तंजीमों के नेताओं से पूछा जता है। कभी विश्व हिन्दू परिषद या बजरंग दल के लोगों से यह सवाल नहीं किया जता। गौर करें तो पाएंगे कि जब भी देश में बम धमाके हुए हैं, प्रवीण तोगड़िया, अशोक सिंघल और बाल ठाकरे का कोई बयान नहीं आता। नाथूराम गोडसे ने इस देश में हिन्दू-मुसलिम एकता के ङांडाबरदार महात्मा गांधी की हत्या की थी लेकिन आरएसएस पर प्रतिबंध नहीं लगता है। उड़ीसा से लेकर कानपुर तक बजरंग दल के लोग क्या कर रहे हैं, यह सामने आ चुका है पर उन पर कोई प्रतिबंध नहीं लगता। दूसरी तरफ दिल्ली में धमाका होता है और आजमगढ़ का हर मुसलमान आतंकवादी मान लिया जता है। पूछताछ के नाम पर बेगुनाह लोगों के परिवार वालों से बदसलूकी की जाती है।
सिमी पर देश में विभिन्न आतंकवादी घटनाओं में शामिल होने का आरोप लगता रहा है?
फलाही-आरोप जरूर लगता रहा है पर यह सच नहीं है। किसी भी अदालत में यह आरोप साबित नहीं हो पाया है। सिमी पर भड़काऊ पोस्टर छापने मसलन ‘वेटिंग फॉर गजनी’ और बाबरी मसजिद तोड़ने वालों से लड़ने की अपील करने वाले पोस्टरों को जरी करने का मकसद क्या था?फलाही-जिस वेटिंग फॉर गजनी वाले पोस्टर का जिक्र हमारे मीडिया के साथी बार-बार करते हैं, उसमें आपत्तिजनक क्या है, आप खुद ही बताएं। जिन लोगों ने संविधान के सामने शपथ लेकर वादा खिलाफी की और देश की ऐतिहासिक धरोहर को तोड़कर गंगा-जमुनी तहजीब को तार-तार किया, उनसे लड़ने के लिए खुदा से किसी योद्धा को भेजने की कामना करना कहां से सांप्रदायिक है। जहां तक बाबरी मसजिद पुनर्निर्माण की बात है तो यह वादा तो देश के पूर्व प्रधानमंत्री नरसिंह राव ने भी किया था। दूसरी तरफ जिस भड़काऊ पर्चे की बात की ज रही है, उसे मैंने १९९९ में सिमी की पत्रिका इस्लामिक मूवमेंट में एशियन एज में छपे एक लेख का हिन्दी में अनुवाद छापा था। जिसे लेकर मेरे खिलाफ मुकदमा दायर किया गया जो आज भी चल रहा है लेकिन एशियन एज के खिलाफ कुछ नहीं हुआ। क्या यह दोहरे मानदंड नहीं हैं।
देश में जो भी आतंकवादी घटनाएं हो रही हैं, उनका आप विरोध करते हैं या नहीं?
फलाही-इस्लाम दहशतगर्दी का समर्थन नहीं करता है। इस तरह के जितने भी धमाके हो रहे हैं, हम उन सभी का विरोध करते हैं। यह इंसानियत के खिलाफ दहशतगर्दो का काम है। इसके पीछे अमेरिका और इजराइल का हाथ है। यह धमाके सिर्फ भारत में नहीं हो रहे हैं, मुसलिम देशों में भी हो रहे हैं। इसके पीछे अमेरिका की साम्राज्यवादी आर्थिक नीतियां हैं। दहशत फैलाकर वे एशियाई देशों में सुरक्षा के नाम पर हथियारों और सुरक्षा उपकरणों का बड़ा बाजर तैयार कर रहे हैं।शाहिद बद्र फलाही सिमी के तादमे आखिर यानी प्रतिबंध लगते समय तक अध्यक्ष रहे हैं और जब प्रतिबंध हटेगा तो वे फिर अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभालेंगे। आजमगढ़ से सटे ककरहटा गांव में फलाही अपने यूनानी दवाखाने में मरीजों से घिरे रहते हैं। आखिर में वे ये जरूर कहते हैं-इस पूरे इलाके में २0-२२ किलोमीटर तक कोई अस्पताल नहीं है। कभी फुर्सत मिले तो ऐसे सवालों को भी उठा दें।
विस्फ़ोट में बच्चा मारा
दिल्ली के महरौली इलाके में अंधेरिया मोड़ के पास हुए विस्फ़ोट में एक बच्चा मारा गया और 20 घायल हो गए। धमाका फूलों के बाजर में हुआ जिसमें बड़ी संख्या में ग्राहक मौजूद थे। दो हते पहले ही दिल्ली में शनिवार के ही दिन हुए बम विस्फ़ोट में बड़ी संख्या में लोग मारे गए थे। सत्रह घायलों को अखिल भारतीय आयुíज्ञान संस्थान में दाखिल कराया गया है जिनमें तीन बच्चे हैं। विस्फ़ोटके बाद दिल्ली में हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया है। दिल्ली के पुलिस आयुक्त वाईएस डड्वाल और अन्य आला पुलिस अधिकारियों ने मौके पर पहुंच कर हालात का जयज लिया है।चश्मदीदों ने बताया कि टी शर्ट और डेनिम की पैंट पहने दो युक काली मोटर साइकिल पर सार होकर बम रखने आए थे। उन्होंने काले रंग का पॉलीथीन का पैकेट एक दुकान के बाहर रखा जिसमें करीब दस मिनट बाद (दोपहर बाद सा दो बजकर छह मिनट पर) विस्फ़ोट हो गया। इससे आसपास के इलाके को भारी नुकसान पहुंचा। बताया जता है कि कुछ लोगों ने दोनों युकों से कहा कि आपका सामान यहां छूट गया है। लेकिन युकों ने इसका कोई जब नहीं दिया और मोटरसाइकिल पर सार होकर तुरंत फरार हो गए। चश्मदीदों ने बताया कि एक बच्चा पॉलीथीन के पास खड़ा था। उसने पॉलीथीन को उठाया और अचानक विस्फ़ोट हुआ जिससे उसके सिर के टुकड़े-टुकड़े हो गए।चश्मदीदों ने बताया कि पॉलीथीन के भीतर एक टिफिन बॉक्स में बम रखा गया था। विस्फ़ोट से भयानक आाज हुई जिससे आसपास के इलाके में दहशत फैल गई। इससे कई दुकानों के शीशे टूट गए। विस्फ़ोट के कुछ देर बाद पुलिस अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे जिससे इलाके के लोगों में काफी गुस्सा है। आम लोगों ने काफी घायलों को खुद ही अस्पतालों में पहुंचाया। करीब एक घंटे बाद एम्बुलेंस भी मौके पर पहुंचीं जिनसे बाकी घायलों को एम्स और अन्य अस्पतालों में भेज गया। पुलिस मोटरसाइकिल पर सार दोनों आतंकादियों की तलाशी में लगी है। पुलिस अधिकारियों ने नागरिकों से शांति बनाए रखने की अपील की है। फरीदाबाद पुलिस ने कहा है कि कल दिल्ली में विस्फ़ोट की धमकी दी गई थी। दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने दक्षिण दिल्ली में आज हुए विस्फ़ोट में मारे गए लड़के के परिार को पांच लाख रुपए के मुआज की घोषणा की है। घायलों को 50-50 हजर रुपए दिए जायेंगे ।

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