अफीम किसानों की आवाज उठी संसद में

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एंव सांसद मोतीलाल वोरा ने राजस्थान में शीतलहर से बर्बाद हुई अफीम किसानों की फसल को लेकर खासी चिंता जताई है। वोरा ने कहा है कि प्रभावित किसानों को तुरंत पट्टे दिए जाने चाहिए। सांसद वोरा ने राज्यसभा के समाप्त हुए सत्र में इस मुद्दे पर सरकार का ध्यान आकर्षित किया था। वोरा ने सरकार से जानना चाह कि पीडित किसानों के लिए सरकार क्या करने जा रही हैक् राजस्थान के हाडोती व चित्तौडगढ जिले का बेगू विधानसभा क्षेत्र वर्ष 2007-08 के दौरान भयंकर शीत लहर की चपेट में आया था। शीत लहर से प्रभावित आधे से ज्यादा किसानों के अफीम के पट्टे विभाग ने समाप्त कर दिए थे। शेष बचे अफीम के पट्टों की किसानों द्वारा लुवाई-चीराई की गई, लेकिन शीतलहर की प्राकृतिक आपदा के कारण किसानों के पट्टे पूरे औसत को पार नहीं कर सके। यही नहीं 100 व 200 ग्राम की कमी के कारण किसानों के पट्टे विभाग ने रोक दिए, जिससे किसानों की आजीविका का साधन छिन गया। उन्होंने बताया कि वर्ष 2003-04 से 2007-08 तक शासकीय अफीम फैक्ट्री नीमच द्वारा अफीम जांच में जो केमिकल काम में लिया गया, वह ठीक नहीं था। उसमें दस प्रतिशत बर्नवीटी व अमूल पाउडर मौजूद था और इसी आधार पर वर्ष 2007-08 को लाभ दिया गया।चूंकि यही कैमिकल पिछले दस वर्षो से उपयोग में लाया जा रहा है इसलिए वर्ष 2003-04 से 2006-07 के प्रभावित किसानों को भी इसका लाभ दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा है कि सरकार को इस ओर भी ध्यान देना चाहिए कि प्राकृतिक रूप से ओस का पानी मिल जाने से गाढता प्रभावित होती है। किंतु अफीम काश्तकार न चाहते हुए भी इस गलती का खामियाजा भुगतते हैं। अत: ऎसे प्रभावित किसानों को भी पट्टे दिए जाए।

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